बढ़ते वजन, भूख और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करेगा गोलो डाइट


लोग बढ़ते वजन को नियंत्रण में रखने के लिए डाइटिंग का सहारा लेते हैं। डाइटिंग के नाम पर फिलहाल आपने वेगन और कीटो डाइट के बारे में सुना होगा। मगर आज हम आपको गोलो डाइट के बारे में बता रहे हैं। शारीरिक ही नहीं बल्कि दिमाग के लिए भी गोलो डाइट काफी फायदेमंद है। गोलो डाइट में कैलोरी को नियंत्रित करके शरीर के मेटाबॉलिज्म को बेहतर किया जाता है।
गोलो डाइट का शरीर पर प्रभाव गोलो डाइट में इंसुलिन और ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखकर आपकी भूख, वजन और मेटाबॉलिज्म को मैनेज किया जाता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो जब इंसुलिन आपकी कोशिकाओं को ऊर्जा देने का काम नहीं कर रही होती है तब चीनी आपके रक्त में ही रहती है और इसकी वजह से बॉडी में एक्स्ट्रा फैट इकट्ठा हो जाता है। इस डाइट के तहत खून में शर्करा और इंसुलिन के लेवल को सही रखने पर जोर दिया जाता है। इस तरह आप शरीर की ऊर्जा का सही ढंग से उपयोग कर सकेंगे।


क्या है गोलो डाइट (GOLO Diet)


गोलो डाइट अलग अलग तरह के खाद्य पदार्थों का मिश्रण है। इसमें मीट, सब्जियां और उन फलों को शामिल किया जाता है जो आसानी से मिल जाते हैं। इस डाइट के तहत आपको प्रोटीन, कार्ब्स, फैट का कॉम्बो लेना होगा। आपको ऐसी डाइट बनानी होगी जो आपके शुगर को स्थिर रखे और आपकी भूख भी शांत करे। उदाहरण के लिए आप सुबह नाश्ते में दो अंडे (प्रोटीन के दो यूनिट), एक टोस्ट (कार्ब का एक यूनिट), मक्खन (फैट का एक यूनिट) और एक मौसमी फल (कार्ब का दूसरा यूनिट) खा सकते हैं।
गोलो डाइट में क्या क्या कर सकते हैं


शामिल गोलो डाइट के तहत आपको प्रोटीन, कार्ब्स, स्वस्थ वसा और सब्जियां आदि शामिल करनी चाहिए। आप पैकेट फूड, चीनी, अन्य तरह की मीठी चीजें, प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें। खाने में चिकन, सी-फूड, डेयरी, नट, बीज, अंडे, दाल, हरी फलियां, आसानी से मिलने वाली हरी सब्जियों की अलग अलग वैराएटी को शामिल करें। आप स्टार्च के लिए आलू, पत्तेदार साग, और हर दिन एक फल को भी अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।